बाजरे की खड़ी फसल,
बड़ी मुश्किलों से बड़ी फसल |
सूखे खेतों में बाजरी की फसल,
पसीने की बूंदों से रंगीन हुई फसल |
कलगी का हर दाना-दाना भरता देख,
उस बंजारे की आँखों में भर आता खेत |
ख़ुशी नाच उठती उसके रोम-रोम में,
फिर भविष्य की चिंता से दुखी होता मन ही मन में |
डॉ.सुनील जाधव ,
नांदेड ,महाराष्ट्र