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बंजारा गोरमाटी

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गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

बंजारा लेखक रावजी राठोड



आज प्रसिद्ध [बंजारा] घुमंतू विमर्श के मराठी भाषा के साहित्यकार रावजी राठोड़ के घर गया था | लगभग तीन घंटों तक कई विषयों पर हमारी चर्चा होती रही | उनका साहित्य जिया और भोग हुआ साहित्य है | उनका स्वभाव सीधा और सरल है | वे फलों से लदे झुकें पेड़ की भांति हैं | यही कारण है कि उनका साहित्य सहिरदय पाठक के मन को बरबस अपनी और आकर्षित करता है | उन्होंने उपन्यास ,कविता, समीक्षा, आत्मकथा आदि कई विषयों पर लिखा हैं | उनके साहित्य को विभिन्न स्तरीय पुरस्कारों से नवाजा गया हैं | जल्द ही उनके साहित्य का हिंदी अनुवाद हिंदी पाठकों के सम्मुख आएगा | उनकी रचनाओं के नाम इसप्रकार है - गोठन [उपन्यास],टांडेल [आत्मकथा ],मलान [कविता],मुक्तिनामा [लेख संकलन] आदि