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बंजारा गोरमाटी

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सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

लड़की तू हैं बंजारा .....


लड़की तू हैं बंजारा ,
क्या खूब हैं यह नजारा |
तुज को क्या बनाया हैं यारा ,
बिना साज के तुझ को हैं सवांरा |
क्या खूब हैं यह नजारा
लड़की तू हैं बंजारा |




सर पे हैं पानी का मटका ,
तेरे गलों पर 
बालों का गुच्छा हैं लटका |
अध् खुली कमर ने हैं झटका ,
ओढ़नी से तुने अंचल को हैं ढका |
तुझको छूनेवाली हवाओं को 
प्यार से तुने हैं फटका |
क्या खूब हैं यह नजारा,
लड़की तू हैं बंजारा |

माथे की बिंदिया ,
ये झुकी-झुकी अँखियाँ |
ओंठों की लाली और 
कानो की बाली |
क्या खूब हैं यह नजारा,
लड़की तू हैं बंजारा |

मासूम हैं चेहरा ,
बंजारा हैं पेहरा|
तेरे लिए खड़ा हैं ,
यह बंजारा के छोरा|
क्या खूब हैं यह नजारा,
लड़की तू हैं बंजारा |

डॉ.जाधव सुनील गुलाबसिंग ,नांदेड,महाराष्ट्र ,इंडिया |
चलभाष : 09405384672










यह कविता ''मैं बंजारा हूँ '' से ली गई है |